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08 March 2007

नारी

महिला दिवस के अवसर पर जानी-अनजानी सभी महिलाओं को बधाई के साथ शुभकामनाएं कि वह जिस भी क्षेत्र में हों दिन-दुनी रात-चौगुनी तरक्की कर अपना व अपनों का नाम रौशन करें

नारी

झलकती है,
तुम्हारे विचारों से
चट्टानों सी दृढ़ता।
चमकता है,
तुम्हारी आंखों में
ख़्वाहिशों का आसमान।
झुक जाए पर्वत भी,
तुम्हारी इच्छाशक्ति के सामने।
बावजूद इसके,
भरी है
करूणा कूट-कूट कर
तुम्हारे मन में।
हो उठती है
नम तुम्हारी आंखें,
कई-कई बार
क्योंकि तुम
नारी हो
करूणत्व ही
तुम्हारी पहचान है।

7 टिप्पणी:

vimmi said...

धन्यवाद सन्जीत बहुत ही खूबसूरती से आपने अपने विचार व्यक्त किये

Unknown said...

patelbhupendra1@gmail,
Dear Sanjit jee i like ur way of righting in hindi...

jai hind

सुनीता शानू said...

अबला जीवन हाय तेरी यही कहानी,
आँचल में है दूध आँखों में पानी...
मगर आपने नारी के अस्तित्व को और भी खूबसूरती से उकेरा है,भाषा और भाव दोनो ही बेहद उम्दा है...बस काश कोई एसे मनन भी कर पाये...और नारी के महत्व को समझ भी पाये...शुक्रिया...

सुनीता(शानू)

गरिमा said...

सुन्दर चित्रण :)

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ! किन्तु कहिये करुणत्व भी तुम्हारी पहचान है , ना कि करुणत्व ही ।
घुघूती बासूती

Anita kumar said...

संजीत जी नारी के प्रती इतना सम्मान दिखाने के लिए धन्यवाद्। हम करुणा भी रखती है और स्नेह भी

seema gupta said...

क्योंकि तुम
नारी हो
करूणत्व ही
तुम्हारी पहचान है।
"नारी तेरी यही कहानी
दिल मे ममता , आँखों मे पानी ......."
hats off for this post.
Regards

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