आइए आवारगी के साथ बंजारापन सर्च करें

06 July 2007

"लिट्टे सीखा रहा नक्सलियों को लड़ना"


पिछले कुछ दिन व्यस्त रहने के कारण लिखना नही हो पाया सिर्फ़ चिट्ठे पढ़ने और टिपेरन धर्म का निर्वाह बस हो पाया, इसी चक्कर में यह महत्वपूर्ण खबर भी अपने चिट्ठे पर डाल नही पाया था। अभी भी इसे संक्षेप मे ही डाल रहा हूं।

दर-असल 29 जून को नवभारत अखबार (नवभारत टाईम्स नहीं) के स्थानीय संस्करण में फ़्रंट पेज पर बैनर ( मुख्य खबर) के रुप में खबर थी…………
"लिट्टे" से लड़ना सीख रहे नक्सली
हालांकि यह एकदम से नई खबर भी नही है पर इस खबर को पूरा पढ़ने से यह बात सामने आती है कि छत्तीसगढ़ से लगे आंध्र-उड़ीसा के सीमावर्ती जंगलों में लिट्टे के लड़ाके माओवादियों को युद्धकला के नए-नए गुर सिखा रहे हैं। इस बात के सबूत आंध्र पुलिस को मिले है और यह सूचना केंद्रीय खुफ़िया विभाग ने आंध्र, उड़ीसा, तमिलनाडु , छत्तीसगढ़ समेत कुल 13 राज्यों की पुलिस को दी है! आधे पेज से भी ज्यादा की इस खबर में यह भी बताया गया है कि लिट्टे ने माओवादियों को प्रेशर बम, क्लेमोर माईन, एन्टी पर्सनल माईन और उन्नत किस्म की अन्य विस्फोटक सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया है! गौरतलब है कि आंध्र पुलिस ने पिछले साल 600 से ज्यादा रॉकेट लांचर जब्त किये थे, इसका मतलब यह है कि नक्सली रॉकेट प्रशिक्षण ले चुके हैं!

नवभारत का ऑनलाइन संस्करण यहां उपलब्ध तो है पर अफ़सोस कि 29 जून वाली स्थानीय संस्करण की खबर इसमे नही दिखी। नवभारत के ऑनलाइन संस्करण के साथ यही दिक्कत है।

4 टिप्पणी:

36solutions said...

क्या चाहते है ये लोग हथियारो का जखीरा इकठ्ठा कर के सैनिक कला सीख करा, यह तो स्पस्ट हो रहा है ये युद्ध अब जल जमीन जंगल की नही रही ! यह विरोध नही देश द्रोह है ! नये पुलिस मुखिया आई बी से है अब देखो ये क्या कर पाते है । इनके विरुद्ध भी अभी से हाई कोर्ट मे केश लग चुका है केश लगने वाले वही भाई है जो बस्तर में पुलिस एंकौटर का शिकायत किये थे, उसके बाद नक्सली पोस्ट्मैन पकडाया फिर और गिरफ़्तारी हुई जो आप सब लोग देख ही रहे है । हाई कोर्ट मे केश और लिट्टे से सैनिक कला सीखने के समचार दोनो छत्तीसगढ के लिये और एक्टिविस्ट लोगों के लिये खतरे की घंटी है ।

Udan Tashtari said...

हमारे लिये तो नई खबर है. हथियार से लैस होकर आंदोलन की राह-क्या मकसद है इसके पीछे? साथ ही कुछ अपनी समीक्षा भी दिया करें.

सुनीता शानू said...

कृपया और विस्तार से बताएं...

Sanjeet Tripathi said...

@संजीव जी, सही कह रहे है आप, नए पुलिस मुखिया को रोजाना अखबार में पढ़कर तो लग रहा है कि वह आक्रामक होंगे नक्सली मामले में, देखें क्या होता है आगे !

@उड़नतश्तरी वाले गुरुवर और सुनीता जी, दर-असल मैं यहां पर सिर्फ़ खबर रखना चाहता हूं , क्योंकि मेरी पिछली दो पोस्ट पढ़कर कुछ साहिबान को लगा कि मै जहर ही उगलता हूं!

Post a Comment

आपकी राय बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अत: टिप्पणी कर अपनी राय से अवगत कराते रहें।
शुक्रिया ।