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15 May 2009

ऐसे कैसे ब्लॉग लिखोगे भई

ब्लॉग की चर्चा-परिचर्चा इतनी होने लगी है कि एक तरह से लोगों को ब्लॉग की अवधारणा को समझे बिना ही
ब्लॉग "लिखने" का फैसिनेशन होने लगा हैं। खासतौर से बड़े अफसरान और वरिष्ठ पत्रकार, साथ ही साहित्यकार भी। चाहते हैं कि उनका भी ब्लॉग हो, लोग पढ़ें, वाह-वाह करें और टिप्प्णियों की लाईन लगा दें। ;)

लेकिन दिक्कत यह है कि ऐसे अफसरान, पत्रकार और साहित्यकार न खुद ब्लॉग बनाना चाहते न ही खुद मैटर टाइप करना चाहते। बस ब्लॉग किसी जानकार से बनवा लेंगे, चाहे आदेश देकर या चिरौरी कर के। मैटर किसी कंप्यूटर ऑपरेटर से टाइप करवा लेंगे। फिर किसी न किसी तरह जुगाड़ बिठाकर उस मैटर को मंगल फोंट में कन्वर्ट करवा लेंगे। और फिर किसी जुगाड़ से उस कन्वर्ट किए हुए मैटर को ब्लॉग में पोस्ट करवा लेंगे। हो गया, अब बैठकर इंतजार करेंगे कि कब लोग(पाठक) आएं और वाह-वाह करें। उपर से तुर्रा यह कि अगर उन्हें सलाह दें कि भाई साहब ब्लॉग खुद ही बनाइए और लिखिए तभी असल बात है, तो तर्क यह होता हैकि लो न यार फिलहाल बना दो, बाद में लिखना और पोस्ट करना सीख लेंगे। पर यह बाद में कभी आता हुआ दिखता नहीं।


बताइए यह भी कोई ब्लॉग लिखना हुआ?
नहीं न , पर ये लोग तो ऐसे ही लिखेंगे, आखिर ब्लॉग का हल्ला जो मचा हुआ है और इनसे बड़ा कोई लिक्खाड़ तो है ही नहीं। ये लिखते थोड़े ही हैं, सीधे गज़ब ढा देते हैं न। ;)


इस मामले में तारीफ करनी होगी वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर की,जिन्होनें अपने कैरियर में कभी कंप्यूटर पर काम नहीं किया। लेकिन जब ब्लॉग लिखने की ललक जागी तो न केवल लैपटाप खरीद लाए बल्कि नेट कनेक्शन भी लिया। शुरु में कुछ दिन भले ही मैटर कंप्यूटर ऑपरेटर से टाइप करवाया लेकिन अब महीनों से खुद ही अपना मैटर टाइप कर रहे है और खुद ही टिपिया रहे हैं। जब कहीं पर अटक जातें हैं तो भले ही सीधे फोन लगाकर दिक्कत सुलझाने सलाह ले लेते हैं।

सेलिब्रिटी होना और उसकी तरह बनने की कोशिश करना दोनों में कितना अंतर है, यह बात हमारे अफसरान और बहुत से वरिष्ठ पत्रकार/साहित्यकार कब समझेंगे।

ब्लॉग लिखने का असल मजा तब ही है जब आप खुद ही मैटर टाइप करें, खुद ही पोस्ट करें और खुद ही टिपियाएं।
तो हमारे अफसरान,पत्रकार और साहित्यकार साहिबान, ऐसे कैसे ब्लॉग लिखोगे भई?
कोशिश तो करो खुद लिखने की।

17 टिप्पणी:

36solutions said...

आपका विमर्श सोलह आने सच है, लोग अपना ब्‍लाग बनाना चाहते हैं और उसे अपना स्‍टेट्स सिंबाल बना कर पेश तो करना चाहते हैं पर सबकुछ आपके उपर छोड देते हैं, आप आईडी बनाने से लेकर पोस्‍ट लिखने या फोन्‍ट कनवर्ट करने व पोस्‍ट करने एवं आवश्‍यक गजैट लगाने तक का सारा काम आपके भरोसे छोडा जाता है अब हम प्रोत्‍साहन के लिए दो चार पोस्‍ट टाईप क्‍या कर दिये लोग समझने लगते हैं कि हम उनके लिये ही बैठे हैं उनका सारा काम करेंगें उनके एवज में टिप्‍पणी भी करेंगें और ब्‍लाग का मार्केटिंग (हा हा हा) भी करेंगें।
मेरा लगभग सारा समय ऐसे ही कामों में गुजरता था पर ये तभी संभव है जब हमारे पास वक्‍त हो अब हमारे पास वक्‍त की कमी है लोगों के ढेरों मेल पडे हैं जिसमें अपनी समस्‍यायें या ब्‍लाग बनाने का अनुरोध है।

इसके लिए अच्‍छा विकल्‍प यह है कि किसी सार्वजनिक स्‍थान पर एक ही समय में सभी इच्‍छुक लोगों को एक बार बुलाया जाए और उन्‍हें ब्‍लाग बनाने आदि की आवश्‍यक जानकारी दी जाए।

Anonymous said...

गनीमत है ऐसे लोगों से अपना पाला अभी तक नहीं पड़ा है :-)

प्रवीण त्रिवेदी said...

ब्लॉग की अवधारणा को समझे बिना ही
ब्लॉग "लिखने" का फैसिनेशन होने लगा हैं। खासतौर से बड़े अफसरान और वरिष्ठ पत्रकार, साथ ही साहित्यकार भी।
अरे यह तो बड़ी नाइंसाफी है भाई जान!!

मास्टर को भी जोड़ देते??

वैसे आपकी बातें सच हैं !!

लोगों को अपनी भावाभियक्ति स्वयं करनी चाहिए!!

पर नौकरशाही कैसे जायेगी??

डॉ .अनुराग said...

अपुन को नहीं मालूम था की ब्लॉग भी अब स्टेटस सिम्बल है ?

Abhishek Ojha said...

ब्लॉग लिखवाने का कोई टेंडर भी जल्दी ही निकलेगा :-) वैसे अभी भी निकलता हो शायद !

समयचक्र said...

ब्लॉग लिखने का असल मजा तब ही है जब आप खुद ही मैटर टाइप करें, खुद ही पोस्ट करें और खुद ही टिपियाएं...सोलह आने सच है,....आपकी बात से शतप्रतिशत सहमत हूँ .
बहुत ही सटीक . कई ऐसे भी है जो दूसरो से टाईप करा वाहवाही लूट रहे है ...
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

डॉ महेश सिन्हा said...

:)

ghughutibasuti said...

अब ब्लौग लिखने को किसी डक्टर ने कहा है क्या? किसी से सीख कर लिखने में बुराई नही है परन्तु किसी से लिखवाना !
मुझे तो आम व्यक्ति का आम ब्लौग ही पढ़ना है, खास का तो आज तक नहीं पढ़ा।
(जिनका पढ़ती हूँ वे मेरे लिए खास हो जाते हैं सो बुरा न माने। :) )
घुघूती बासूती

दीपक said...

मै गिने चुने ब्लाग पढता हुँ खासकर छ्त्तीसगढ के ही पढता हुँ !अनिल जी सचमुच मे आदमी खरे है !!

बाकी आपने सही कहा !!

राजकुमार ग्वालानी said...

हमें तो यह लगता है कि लोग ब्लाग लिखने को फैशन के तौर पर लेने लगे हैं। आज हर बंदा चाहता है कि वह ब्लाग लिखे। हमने तो ऐसे-ऐसे ब्लाग देखे हैं जो किसी काम के नहीं लगते हैं। फिर भी ब्लाग बना दिए गए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह भी है कि गुगल ने ब्लाग बनाने के लिए जो आजादी दे रखी है उसका लोग नाजायज फायदा उठा रहे हैं। हमारा ऐसा मानना है कि ब्लाग बनाने की इजाजत देने से पहले गुगल वालों को ब्लाग लिखने वालों की पूरी जानकारी लेनी चाहिए। आज लोग छद्म नाम से न सिर्फ ब्लाग लिख रहे हैं बल्कि इसका गलत फायदा उठाते हुए ब्लागों में उल्टे सीधे कमेंट भी करते हैं। इसी के साथ कोई कुछ भी लिख रहा है। आजादी का इतना भी बेजा फायदा उठाना ठीक नहीं है।

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर बात कह डाली।
जैसे खेती के बारे में कहा गया है-

जो हल जोते खेती वाकी,
और नहीं तो जाकी ताकी।
तो ब्लागिंग भी खुदै लिखने में मजा देती है।

Unknown said...

सुनील भाई, अगली बार जब कोई ब्लॉग बनवाने आये तो एडवांस में 1000 रुपये माँग लीजिये… बाकी बाद में लूंगा कहकर…

pallavi trivedi said...

हम तो अपना सारा काम खुद ही करते हैं....इत्ता आलस भी किस काम का?

Shiv said...

अनिल जी के ब्लॉग-लेखन का मैं भी कायल हूँ. जब से उन्होंने लिखना शुरू किया, एक से बढ़कर एक बढ़िया पोस्ट ही नहीं लिखी, इस बात का भी ख़याल रखा कि छत्तीसगढ़ की बातें, वहां की समस्याओं के बारे में ज़रूर लिखा जाय.

अनिल जी ऐसे ही लिखते रहें, यही कामना है.

और जहाँ तक मेरी अपनी राय है, तो यही कहूँगा कि; "कुछ भी लिख लो संजीत, हम तो भैया दूसरों से ही लिखवायेंगे....:-)"

Anil Pusadkar said...

ऐसा नही लगता संजीत कि मेरी तारीफ़ थोड़ा ज्यादा हो गई है।नाचीज़ की तारीफ़ के लिये शुक्रिया आप सभी का।

Gyan Dutt Pandey said...

अनिल बेबाक लिखने वाले हैं। प्रिय भी।

Anita kumar said...

हम तो खुद ही सीखते हैं, लिखते हैं और टिपियाते हैं(चाहे थोड़ा ही) , सेलेब्रेटी जो नहीं हैं और न ही अफ़्सरान।

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आपकी राय बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अत: टिप्पणी कर अपनी राय से अवगत कराते रहें।
शुक्रिया ।